लखनऊ। यूपी की बची हुई 25 सीटों पर भाजपा आज उम्मीदवारों के नाम का ऐलान करने वाली है। शनिवार को दिल्ली में बीजेपी चुनाव समिति की बैठक हुई थी। इसमें सुल्तानपुर, पीलीभीत और बदायूं जैसी सीटों पर मंथन हुआ।
सूत्रों के मुताबिक, पीलीभीत से वरुण गांधी का टिकट कटना लगभग तय है। वहीं सुल्तानपुर से मेनका गांधी को फिर से लड़ाएगी।
वर्तमान में इस सीट से वरुण गांधी सांसद हैं, जो गांधी-नेहरू परिवार से संबंधित हैं। कहा जा रहा है कि इस बार बीजेपी को उन्हें टिकट देने का इरादा नहीं है। वरुण गांधी को 10 साल तक न तो मोदी सरकार में कोई ज़िम्मेदारी मिली और न ही संगठन में कोई रोल।
अपने लोकसभा क्षेत्र से बाहर रहते हुए, वह अख़बारों में लेख लिखते रहे और मोदी सरकार की आलोचना से बाज नहीं आए। कई बार प्रदेश की योगी सरकार पर तंज़ किया गया और कई बार मोदी सरकार पर चुटकी ली। पहले से ही कहा जा रहा था कि वरुण गांधी बीजेपी में अपना सियासी भविष्य नहीं देख रहे हैं और बीजेपी भी उन्हें लेकर बहुत सकारात्मक नहीं है।
अब जब 2024 का आम चुनाव कुछ हफ़्ते में होने जा रहा है, ऐसे में वरुण को पीलीभीत से टिकट मिलेगा या नहीं, इसकी चर्चा गर्म है।
पत्रकार हर्ष तिवारी ने एक्स पर वरुण गांधी को लेकर लिखा है कि बीजेपी के विरोध के कारण यह लगभग तय है कि वरुण गांधी को पार्टी टिकट नहीं देने वाली। वरुण गांधी ने चार नामांकन पत्र ख़रीदे हैं और उसके बाद से अटकलें तेज़ थीं कि वह समाजवादी पार्टी से चुनाव लड़ सकते हैं लेकिन समाजवादी पार्टी ने भी उम्मीदवार की घोषणा कर दी है।
ऐसे में वरुण गांधी का टिकट कटता है तो उनके पास निर्दलीय चुनाव लड़ने के अलावा कोई और विकल्प नहीं होगा। निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में उनके लिए चुनाव जीतना आसान नहीं होने वाला। अगर वरुण कांग्रेस जॉइन करते हैं तो पीलीभीत सीट कांग्रेस के पास आएगी या फिर वह रायबरेली या अमेठी से उम्मीदवार बनाए जाएंगे? अंतिम फ़ैसला वरुण गांधी को ही लेना है।
बीजेपी ने अपनी पहली लिस्ट में यूपी की 51 सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा की थी। वहीं पार्टी की दूसरी लिस्ट में यूपी की एक भी सीट से उम्मीदवारों के नाम की घोषणा नहीं की गई थी।
पहले चरण में आने वाली सीटों पर नामांकन शुरू हो चुका है और इसकी आख़िरी तारीख 27 मार्च है, ऐसे में माना जा रहा है कि बीजेपी जल्द ही अपनी तीसरी लिस्ट जारी कर सकती है।
ऐसे में चर्चा गर्म थी कि अगर वरुण गांधी को बीजेपी ने टिकट नहीं दिया तो वो या तो समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार के तौर पर या फिर निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ सकते हैं।
बीजेपी से उनकी नाराज़गी और पार्टी और उनकी बीच बढ़ी दूरी का संकेत बीते साल उस वक्त मिला जब अमेठी के संजय गांधी अस्पताल का लाइसेंस निलंबित कर दिया गया। अस्पताल में इलाज के लिए पहुंची एक महिला की मौत के लिए परिवार द्वारा ग़लत इलाज को वजह बताया गया था। जिसके बाद यूपी सरकार ने अस्पताल का लाइसेंस रद्द कर दिया।
सरकार के इस फ़ैसले की आलोचना करने वालों में वरुण गांधी भी शामिल थे। उन्होंने तंज कसते हुए लिखा, "कहीं 'नाम' के प्रति नाराज़गी लाखों का काम न बिगाड़ दे।”