माफिया मुख्तार अंसारी को दूसरी बार आजीवन कारावास: 33 साल पुराने फर्जी शस्त्र लाइसेंस मामले में एमपी एमएलए कोर्ट ने सुनाया बड़ा फैसला
माफिया मुख्तार अंसारी को दूसरी बार आजीवन कारावास

वाराणसी। बांदा जेल में उम्रकैद की सजा काट रहे अंतरराज्यीय गिरोह के सरगना और माफिया मुख्तार अंसारी 33 वर्ष 3 महीने 9 दिन पुराने गाजीपुर के फर्जी शस्त्र लाइसेंस मामले में भी दोषी पाए गए है। इसमे वाराणसी कोर्ट ने माफिया मुख्तार अंसारी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। कोर्ट ने साथ ही में मुख्तार अंसारी पर 2 लाख 2 हजार का जुर्माना भी लगाया हैं। अंसारी को पिछले 17 महीने के अंदर 8 मामलों मे सजा सुनाई गयी है जिसमें से तीन बार सिर्फ वाराणसी कोर्ट ने सजा सुनाई है। 

इन धाराओं के आधार पर सुनाई गयी सजा

मुख्तार अंसारी पर अवैध दोनाली बंदूक रखने का आरोप सिद्ध हुआ है। अंसारी को अदालत ने भारतीय दंड संहिता की धारा 428, धारा 467, धारा 468 और धारा 120B के साथ आयुध अधिनियम की धारा 30 के तहत दोषी पाया गया है।

पहले ही किया जा चुका है सात मामलों में दंडित

मोहम्मदाबाद थाने के हिस्ट्रीशीटर और यूसुफपुर निवासी मुख्तार अंसारी के खिलाफ उत्तर प्रदेश, दिल्ली और पंजाब में 65 से अधिक मुकदमे दर्ज हैं। 25 अक्टूबर 2005 से जेल में बंद मुख्तार अंसारी को अब तक सात मामलों में अदालत ने सजा सुनाई है।

1991 में वाराणसी के अवधेश राय हत्याकांड में मुख्तार अंसारी को उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी। इसके अतिरिक्त, उन्हें लखनऊ और गाजीपुर के कई मामलों में दंडित किया गया है, वाराणसी में भी एक मामले में सजा सुनाई गई है। 

पूर्व मुख्य सचिव और डीजीपी दे चुके है गवाही

अभियोजन द्वारा 10 साक्षियों को अदालत में परीक्षित किया गया है। इनमें प्रदेश के पूर्व मुख्य सचिव और गाजीपुर के पूर्व जिलाधिकारी आलोक रंजन, प्रदेश के पूर्व डीजीपी और गाजीपुर के पूर्व पुलिस अधीक्षक देवराज नागर, गाजीपुर के पूर्व जिलाधिकारी जगन मैथ्यूज, गाजीपुर का शस्त्र लिपिक श्रीप्रकाश, सीबीसीआईडी के अशफाक अहमद, मूलचंद तिवारी, रामनारायण सिंह, राम शिरोमणि पांडेय, विश्व भूषण सिंह और विधि विज्ञान प्रयोगशाला के वैज्ञानिक मदन सिंह शामिल हैं।

मुख्तार के सालों की ओर से रिश्तेदारों के खाते में जमा 17.65 लाख रुपये जब्त 

मुख्तार अंसारी गिरोह के सक्रिय सदस्य और उसके साले अनवर और आतिफ के खिलाफ पुलिस प्रशासन ने मंगलवार को बड़ी कार्रवाई की है। दोनों की ओर से रिश्तेदारों के खातों में जमा 17.65 लाख रुपये जब्त कर लिए गए। नगर कोतवाली में गैंगस्टर एक्ट के तहत मुख्तार के साले अनवर शहजाद और सरजील निवासी सैय्यदवाड़ा के खिलाफ मुकदमा दर्ज है। इसकी जांच गाजीपुर थानाध्यक्ष कर रहे हैं। रिपोर्ट के आधार पर डीएम आर्यका अखौरी ने धनराशि को जब्त करने का निर्देश दिया। इसके बाद पुलिस-प्रशासन ने धनराशि जब्त कर आगे की विधिक कार्रवाई शुरू कर दी। 

चलिए जानते है मुख्तार अंसारी से जुड़ी कुछ मुख्य बातें 

उत्तर प्रदेश के मऊ से सदर विधायक रहे माफिया मुख्तार अंसारी पर लगभग 65 केस दर्ज हैं। उसके नाम का खौफ और पुख्ता नेटवर्क इतना था कि जेल के अंदर से ही अपराधिक घटनाओं को अंजाम दिया जाता रहा। मुख्तार अंसारी बीते 18 साल से जेल में बंद है। इसके बावजूद भी उसका नाम अक्सर किसी न किसी वजह से सुर्खियों में रहता है।

अंसारी पर अब तक गाजीपुर, वाराणसी, मऊ और आजमगढ़ के विभिन्न जेलों में रहते हुए भी हत्या के कई मामले दर्ज किए गए है। इस प्रकार करीब 60 साल के मुख्तार अंसारी पर कुल 65 मुकदमे दर्ज हैं। इसमें से सबसे ज्यादा मुकदमे गाजीपुर में दर्ज हैं जो उसकी होम डिस्ट्रिक्ट है। 

मुख्तार ने अपराध की दुनिया से राजनीति में रखा कदम

दरअसल 90 के दशक में अपराधी, अफ़ीम और आईएएस अफसर एक साथ पैदा करने वाला गाजीपुर हमेशा से पूर्वांचल के गैंगवार की धुरी रहा है। उसी दौरान मुख्तार अंसारी, बृजेश सिंह समेत अन्य अपराधियों के नाम गाजीपुर और आस-पास के जनपदों में फैलने लगे। इस दौरान कई गैंग बने। इनकी आपस में रंजिश भी हुई। वहीं अपराध की दुनिया में बड़ा नाम होने पर मुख्तार अंसारी ने सियासत में कदम रखे और 1996 में पहली बार बसपा के टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़कर जीत हासिल की।

2017 तक मुख्तार अंसारी ने मऊ सदर विधानसभा की सीट पर पांच बार विपक्षी उम्मीदवारों को हराया, जिनमें से उसने बार जेल में रहते हुए चुनाव लड़ा। 2022 में उसने राजनीति से अलग होकर अपने बेटे अब्बास अंसारी को उसी सीट पर उतारा, जो फिलहाल अभी जेल में हैं।

कृष्णानंद हत्याकांड में आया नाम

गाज़ीपुर की मोहम्मदाबाद विधानसभा सीट पर 17 साल से काबिज अंसारी परिवार से 2002 के विधानसभा के चुनाव में बीजेपी के कृष्णानंद राय ने छीन ली। लेकिन वे विधायक के तौर पर अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सके, तीन साल बाद उनकी हत्या कर दी गई।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक वे एक कार्यक्रम का उद्घाटन करके लौट रहे थे कि तभी उनकी बुलेट प्रूफ गाड़ी को घेर कर अंधाधुंध फायरिंग की गई। जिसमें कृष्णानंद के साथ कुल 6 और लोग गाड़ी में थे। एके-47 से तकरीबन 500 गोलियां चलाई गईं, सभी सातों लोग मारे गए। कृष्णानंद हत्याकांड के वक्त में जेल में बंद होने के बावजूद मुख्तार अंसारी ने इस हत्याकांड को अंजाम दिया। 

अंसारी के दादा रह चुके है स्वतंत्रता संग्राम सेनानी

माफिया मुख्तार के परिवार की गिनती गाजीपुर में बड़े सियासी घराने के रूप में होती थी। मुख्तार से पहले उसके परिवार में आपराधिक पृष्ठभूमि का कोई नहीं था। मुख्तार के दादा डॉ. अंसारी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे। वहीँ इसके नाना, ब्रिगेडियर मोहम्मद उस्मान को 1947 की लड़ाई में शहीद होने के लिए महावीर चक्र से सम्मानित किया गया था।

मुख्तार अंसारी ने विरासत को आगे बढ़ाने की बजाय अपराध की दुनिया में शोहरत हासिल करना आसान समझा। यहां के लोगों के मुताबिक गाजीपुर में साफ-सुथरी छवि रखने वाले और कम्युनिस्ट बैकग्राउंड से आने वाले मुख्तार के पिता सुभानउल्ला अंसारी स्थानीय राजनीति में सक्रिय थे। भारत के पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी रिश्ते में मुख्तार अंसारी के चाचा लगते हैं।

अब तक करोड़ों की संपत्ति की जा चुकी है जब्त 

मुख्तार अंसारी ने जेल के अंदर रहते हुए भी अपराध की दुनिया में गुर्गों के जरिए कई वारदातों को अंजाम दिया। वहीं 2017 में योगी आदित्यनाथ सरकार बनने के बाद उस पर शिकंजा कसना शुरू किया गया। मुख्तार अंसारी को पंजाब जेल से यूपी लाने के बाद बांदा कारागार में रखा गया है। वहीं मऊ, गाजीपुर और लखनऊ में लगभग कई सौ करोड़ रुपये की उसकी संपत्ति को जब्त किया चुका है।

उसके सभी गुर्गों को सख्त कानून के अंतर्गत जेल भेजा गया है। मुख्तार के बेटों सहित परिवार के अन्य सदस्यों के खिलाफ भी गंभीर अभियोगों में मुकदमे चल रहे हैं। एक दौर था जब तीन-चार साल पहले तक मुख्तार लखनऊ जेल में बन्द था, लेकिन बीमारी के नाम पर उसका दरबार किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज में लगता था। लेकिन ये सब अब बीते दौर की बाते हो गई है।

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