दरअसल केंद्र सरकार अप्रैल से देश में जीपीएस (सैटेलाइट) आधारित टोल कलेक्शन सिस्टम लागू करने जा रही है। इसमें वाहन के नंबर प्लेट को स्वतः रीड कर टोल टैक्स लिया जाएगा। किंतु सरकार राष्ट्रीय राजमार्गो पर मौजूद 900 से अधिक टोल प्लाजा को समाप्त नहीं करेगी और न ही वाहनों में लगे फास्टैग को निष्क्रिय करेगी।
राजमार्ग मंत्रालय और सड़क परिवहन ने जीपीएस सिस्टम पर आधारित टोल टैक्स कलेक्शन करने के तरीके को पे एंड यूज नाम दिया गया है। इसमें एडवांस सीसीटीवी कैमरा युक्त ऐंटीना हैं, जो वाहन के नंबर प्लेट को स्वतः रीड कर लेते हैं और वाहन चालक के बैंक खाते से सीधे टोल टैक्स कट जाता जाता है।
डिजिटल इमेज प्रोसेसिंग की मदद से लॉग इन:
समस्त राष्ट्रीय राजमार्गों का डिजिटल इमेज प्रोसेसिंग की मदद से लॉग इन किया जा रहा है। जिससे प्रत्येक राजमार्ग की टोल दर साफ्टवेयर में दर्ज होंगी। ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम के लिए रजिस्टर करने वाले हर वाहन में ऑन-बोर्ड यूनिट होगी, जो सैटेलाइट से लिंक होगी।
मंत्रालय के अधिकारी ने बताया कि मुंबई–दिल्ली एक्सप्रेस-वे के दौसालालसेट सेक्शन (246 किलोमीटर) सहित कई मार्गों पर पॉयलट प्रोजेक्ट के तौर पर जीपीएस से टोल लेने का प्रयोग शुरू किया है। लेकिन, इस तकनीक में वाहनों की अधिक तेज रफ्तार होने पर स्वतः नंबर प्लेट रीड करने में अड़चन आ रही है।
ऐसी स्थिति में टोल प्लाजा पर वाहन से फास्टैग के जरिए टोल टैक्स वसूलने का प्रावधान रहेगा। इसलिए देशभर में जीपीएस सिस्टम लागू होने पर वाहनों से फास्टैग व राजमार्गों से टोल प्जाजा को हटाने का फैसला नहीं किया है। अधिकारी ने मुताबिक सैटेलाइट आधारित टोल कलेक्शन सिस्टम में उन्नत तकनीक को तलाशा जा रहा है। ताकि भविष्य में फास्टैग व टोल प्लाजा को हटाया जा सके।
नया बिल पेश कर सकती है नई सरकार:
जीपीएस आधारित टोल कलेक्शन में टोल टैक्स नहीं देने वालों पर कानूनी कार्रवाई का प्रावधान नहीं है। जून में बनने वाली नई सरकार जीपीएस टोल कलेक्शन संबंधी नया बिल पेश कर सकती है। जिससे उक्त सिस्टम को फुलप्रूफ बनाया जा सके। टोल प्लाजा पर टोल टैक्स की तय दर से दो गुना टोल लिया जाता है।