वॉशिंगटन/नई दिल्ली : भारत में 26 निर्दोष जानें लेने वाले पाकिस्तान समर्थित "द रजिस्टेंस फ्रंट (TRF)" पर अब अमेरिका ने बड़ा एक्शन लिया है। अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने TRF को "विदेशी आतंकवादी संगठन (FTO)" और "विशेष रूप से नामित वैश्विक आतंकवादी (SDGT)" की सूची में डाल दिया है। यह कदम अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने खुद उठाया और कहा कि : “ये कार्रवाई हमारे राष्ट्रीय सुरक्षा हितों की रक्षा और भारत को न्याय दिलाने के ट्रम्प प्रशासन के वादे का हिस्सा है।” TRF वही आतंकी संगठन है जिसने 22 अप्रैल, 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए उस भीषण आतंकी हमले की जिम्मेदारी ली थी, जिसमें 26 पर्यटक बर्बरता की भेंट चढ़ गए थे।
मुंबई के बाद सबसे बड़ा था हमला :
आपको बता दें कि पहलगाम हमला 2008 के मुंबई हमले के बाद भारत में नागरिकों पर हुआ सबसे घातक हमला था। TRF ने हमले के कुछ ही घंटे बाद जिम्मेदारी ली थी और फिर 4 दिन बाद पलटी मार ली, दावा किया कि “वेबसाइट हैक हो गई थी”। लेकिन अमेरिका ने भारत के सबूतों और आतंकी गतिविधियों को पूरी तरह मान्यता दी और अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर TRF का पर्दाफाश कर दिया।
जयशंकर ने जताया आभार: भारत-अमेरिका साझेदारी हुई और मज़बूत -
गौरतलब है कि विदेश मंत्री एस जयशंकर ने प्रतिबंध पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि : "TRF को आतंकी संगठन घोषित करना भारत-अमेरिका के आतंकवाद विरोधी सहयोग की पुष्टि है। अब आतंकवाद के लिए जीरो टॉलरेंस की नीति को वैश्विक समर्थन मिला है।"
इस लिस्ट में आने का क्या असर पड़ेगा?
आइये आपको विस्तार से बताते हैं कि TRF को इस संगठन में डालने से TRF संगठन को क्या नुकसान होगा।
FTO में आने का मतलब :
1. अब यह संगठन अमेरिका के लिए प्रत्यक्ष खतरा माना जाएगा।
2. कोई इसे पैसे, हथियार या समर्थन देगा तो वह अपराधी करार होगा।
SDGT में आने का मतलब :
1. अमेरिका में मौजूद सारी संपत्ति जब्त होगी।
2. किसी भी अमेरिकी संस्था को TRF से लेन-देन की मनाही होगी।
3. ग्लोबल बैंकिंग और फंडिंग सिस्टम से आउट किया जाएगा।
इससे न सिर्फ अमेरिका, बल्कि बाकी देश भी TRF से दूरी बना लेंगे यह आतंकी संगठन वैश्विक अलगाव और दबाव में आ जाएगा।
TRF कौन है? :
विदित है कि TRF की स्थापना 2019 में आर्टिकल-370 हटने के बाद हुई थी। भारत सरकार मानती है कि यह लश्कर-ए-तैयबा का ही दूसरा रूप है। ISI ने इसे खड़ा किया, ताकि कश्मीर में नए नाम से आतंक फैले। यह संगठन "हाइब्रिड आतंकवाद" यानी आम नागरिक जैसे दिखने वाले कट्टर आतंकी का इस्तेमाल करता है। सुरक्षा एजेंसियों के मुताबिक TRF ड्रग्स, हथियारों की तस्करी और टारगेट किलिंग में भी शामिल रहा है।
अमेरिका ने क्यों माना भारत की बात?
आपको बता दें कि पिछले महीने भारत ने पहलगाम हमले को लेकर अमेरिका को लगातार सबूत दिए जिसमें डिजिटल कम्युनिकेशन, फाइनेंशियल ट्रेल्स और कश्मीरी युवाओं की भर्ती की जानकारी शामिल थी। अमेरिका की इंटेलिजेंस रिपोर्ट्स भी TRF को "लस्कर ए तैयबा का दूसरा चेहरा" बता रही थीं।
अब TRF का नाम आतंक के साथ जुड़ चुका है। इस कार्रवाई से अमेरिका ने एक बार फिर साबित किया है कि आतंक के खिलाफ लड़ाई में वह भारत के साथ खड़ा है। अब TRF न केवल भारत में, बल्कि अंतरराष्ट्रीय मंच पर भी वांछित आतंकी संगठन घोषित हो चुका है।यह न्याय के लिए पहला बड़ा कदम है और साथ ही एक स्पष्ट संदेश कि अब कोई भी आतंकी संगठन चाहे वह जिस भी नाम से हो, छुप नहीं सकता।