जयपुर : राजस्थान में इस बार मानसून ने समय से सात दिन पहले ही एंट्री मारी है और आते ही आधे से ज्यादा प्रदेश को भीगो दिया है। अरब सागर और बंगाल की खाड़ी में बने लो-प्रेशर सिस्टम ने मानसून को ऐसी रफ्तार दी कि पहले दिन ही 20 जिलों में बारिश की झड़ी लग गई। मौसम विभाग ने 15 जिलों में भारी बारिश और बिजली गिरने का रेड अलर्ट जारी किया है।
पहले दिन ही आधा राजस्थान भीगा, पारा गिरा -
गौरतलब है कि उदयपुर, डूंगरपुर, बांसवाड़ा, सिरोही, जालोर, पाली, कोटा, बारां, बूंदी, सवाई माधोपुर से लेकर जयपुर और अजमेर तक बादल जमकर बरसे। पिछले 24 घंटे में बिजली गिरने से तीन लोगों की मौत हो चुकी है। भारी बारिश ने तापमान को तेजी से नीचे गिरा दिया है, जिससे लोगों को भीषण गर्मी से राहत जरूर मिली, लेकिन कई इलाकों में जलभराव और बिजली कटौती की शिकायतें भी सामने आईं।
63% ज्यादा बारिश का रिकॉर्ड :
जानकारी के अनुसार राज्य में 1-जून से 17-जून तक औसत रूप से 34.7 मिलीमीटर वर्षा दर्ज हुई है जो सामान्य से लगभग 63% ज्यादा है। मौसम विभाग का दावा है कि इस बार भी राज्य में औसत से ज्यादा बारिश होगी, जैसे 2024 में हुई थी। उस साल पूरे मानसून सीजन में औसत से 56% ज्यादा बारिश दर्ज की गई थी।
जयपुर, दौसा, भरतपुर ने तोड़ा रिकॉर्ड :
आपको बता दें कि पिछले सीजन जयपुर में 88% ज्यादा बारिश हुई जहां औसतन 524.3 मिमी बारिश होती है, वहां 986.6 मिमी पानी बरसा। दौसा ने तो हर किसी को चौंका दिया: 594 मिमी की जगह 1409 मिमी बरसात यानी 137% ज्यादा! भरतपुर, करौली, धौलपुर जैसे जिलों में भी औसत से 70% से लेकर 109% ज्यादा बारिश हुई।
टोंक में फिर खतरे की आहट? :
गौरतलब है कि टोंक में बीते साल बाढ़ जैसे हालात बन गए थे और बीसलपुर बांध के गेट खोलने पड़े थे। इस बार फिर मौसम विभाग ने कोटा, उदयपुर और अजमेर संभागों में भारी बारिश की चेतावनी जारी की है।
जैसलमेर तक भी पहुंचा मानसून का जादू :
जानकारी के अनुसार पश्चिमी राजस्थान में इस बार मानसून ने जबरदस्त प्रदर्शन किया। जैसलमेर, जोधपुर, बाड़मेर, बीकानेर और चूरू में भी 50% से ज्यादा औसत बारिश दर्ज की गई। जैसलमेर में तो बारिश डेढ़ गुना तक पहुंच गई। 176 मिमी की जगह 438 मिमी पानी गिरा।
राजस्थान में इस बार मानसून ने न सिर्फ वक्त से पहले दस्तक दी है, बल्कि आते ही कहर भी बरपा दिया है। मौसम विभाग की भविष्यवाणी अगर सही रही, तो इस बार कई जिलों में पिछले रिकॉर्ड भी टूट सकते हैं। किसानों के लिए ये बारिश वरदान साबित हो सकती है, लेकिन जलभराव, बिजली गिरना और बांधों का भरना प्रशासन के लिए चुनौती बनने वाला है।