प्राइवेट कंपनियां ही नहीं, सरकारी संस्थाएं भी कर रही हैं GST चोरी!: नोएडा से लखनऊ तक खंगाली जा रही हैं बैलेंस शीट...वही जानें क्यों ग्रेटर नोएडा, नोएडा और यमुना प्राधिकरण पर हुई जाँच तेज?
प्राइवेट कंपनियां ही नहीं, सरकारी संस्थाएं भी कर रही हैं GST चोरी!

लखनऊ/नोएडा : उत्तर प्रदेश में जीएसटी चोरी की जांच जैसे-जैसे गहराई में जा रही है, वैसे-वैसे चौकाने वाले तथ्य सामने आ रहे हैं। अब यह साफ हो चुका है कि सिर्फ निजी कंपनियां और ठेकेदार ही नहीं, बल्कि सरकारी विभाग, औद्योगिक विकास प्राधिकरण और निर्माण से जुड़ी सरकारी संस्थाएं भी जीएसटी चोरी में लिप्त हैं।

सरकारी बजट जारी, लेकिन टैक्स गायब!

आपको बता दें कि जानकारी के मुताबिक, पिछले वित्तीय वर्ष में अप्रैल 2024 से अब तक निर्माण और विकास कार्यों के लिए अरबों रुपये का बजट जारी किया गया, लेकिन इसके मुकाबले जीएसटी भुगतान बेहद कम रहा। इस दौरान ठेकेदारों को जारी टेंडर, उनका अनुमानित खर्च (Estimate), और फाइनल बिल के साथ दाखिल किए गए रिटर्न इन सबमें बड़ा अंतर पाया गया है। इसी आधार पर अब पूरे प्रदेश में निर्माण कार्यों की फाइल दर फाइल खंगाली जा रही है।

नोएडा-ग्रेटर नोएडा और यीडा पर खास फोकस, जांच तेज :

गौरतलब है कि प्रमुख सचिव (राज्य कर) एम. देवराज ने सभी आयुक्तों को सख्त निर्देश दिए हैं कि औद्योगिक प्राधिकरणों और सरकारी संस्थाओं की बैलेंस शीट का गहन अध्ययन किया जाए।

● नोएडा प्राधिकरण – विभिन्न सेवाओं और फीस पर जीएसटी का बकाया।
● ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण – ठेकेदारों से टैक्स की वसूली में भारी गड़बड़ी।
● यीडा (यमुना औद्योगिक विकास प्राधिकरण) – ठेकेदारों और फर्मों की जीएसटी देनदारी पर सवाल।

इन संस्थाओं को विकास और निर्माण कार्यों के लिए बजट तो मिल रहा है, लेकिन जीएसटी राजस्व में उसका हिसाब नहीं मिल रहा।

जानें क्यों है मामला गंभीर?

गौरतलब है कि प्रदेश के कुल राजस्व में राज्य कर की हिस्सेदारी लगभग 60% है। सरकार ने इस साल का लक्ष्य 1.75 लाख करोड़ रुपये रखा है। ऐसे में अगर सरकारी संस्थाएं ही टैक्स चोरी करेंगी, तो यह लक्ष्य दूर की बात हो जाएगी और सीधे-सीधे राज्य की आय पर चोट पहुंचेगी।

हालिया कार्रवाई से हलचल :

विदित है कि राज्य कर विभाग की विशेष जांच शाखा (SIB) ने हाल ही में बड़ा झटका दिया। उत्तर प्रदेश जल निगम से 54 करोड़ रुपये की रिवर्स आईटीसी वसूली की है। लखनऊ में दो वर्क कॉन्ट्रैक्ट कंपनियों पर कार्रवाई के दौरान 5300 करोड़ और 742 करोड़ के टेंडर पर टैक्स की समीक्षा की गई। इन कार्रवाइयों ने सरकारी विभागों और प्राधिकरणों में खलबली मचा दी है।

आगे क्या होगा?

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि सभी जिलों के निर्माण कार्यों की सूची बनाई जा रही है। टेंडर, अनुमान और बिल का क्रॉस वेरिफिकेशन होगा। टैक्स बकाया पाए जाने पर नोटिस भेजे जाएंगे और वसूली की जाएगी। सरकार ने साफ कर दिया है कि कोई भी संस्था कितनी भी बड़ी क्यों न हो, टैक्स चोरी पर बख्शा नहीं जाएगा।

अब यह मामला सिर्फ “टैक्स चोरी” का नहीं, बल्कि सरकारी जवाबदेही का भी बन गया है। लोग सवाल पूछ रहे हैं कि अगर सरकार से बजट लेने वाले ही टैक्स चोरी करेंगे, तो कानून का डर किसे रहेगा?

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