नई दिल्ली: पारदर्शिता की ओर बड़ा कदम
दिल्ली सरकार नई आबकारी नीति बनाने की तैयारी में है। इसका मकसद शराब की बिक्री को अधिक पारदर्शी, सुरक्षित और नियंत्रित करना है। मौजूदा नीति को अगले वित्तीय वर्ष तक बढ़ा दिया गया है, ताकि नई व्यवस्था पर काम हो सके। इसके लिए गठित उच्च स्तरीय पैनल अन्य राज्यों की नीतियों का अध्ययन कर रहा है। सरकार का लक्ष्य टैक्स-लीक रोकना, अवैध बिक्री पर अंकुश लगाना और उपभोक्ताओं को बेहतर खरीदारी अनुभव देना है।
सबसे बड़ा बदलाव: मोहल्लों से हटेंगी दुकानें?
मसौदे में एक बड़ा प्रस्ताव यह है कि शराब की दुकानें अब घनी आबादी और आवासीय इलाकों से बाहर हटाई जाएँ। इन्हें व्यवस्थित और आधुनिक रिटेल आउटलेट्स के रूप में विकसित किया जाएगा। सरकार का मानना है कि इससे उपभोक्ता सुरक्षा बढ़ेगी, सार्वजनिक व्यवस्था सुधरेगी और स्थानीय लोगों की आपत्तियाँ भी कम होंगी। हालांकि यह अभी मसौदे का हिस्सा है और अंतिम फैसला रायशुमारी के बाद ही होगा।
क्या अब दिल्ली में मिलेगी सस्ती शराब?
नीति का एक और अहम उद्देश्य है—
दिल्ली में शराब की कीमतों को पड़ोसी राज्यों हरियाणा और उत्तर प्रदेश के बराबर लाना। वर्तमान अंतर की वजह से क्रॉस-बॉर्डर तस्करी और खरीदारी आम हो गई है। सरकार चाहती है कि कीमतों में समानता लाकर राजस्व बढ़े और अवैध कारोबार पर रोक लगे।
वापसी कर सकते हैं निजी वेंड्स
नई नीति में निजी विक्रेताओं को दोबारा लाइसेंस देने की संभावना भी तलाशी जा रही है। अगर ऐसा होता है, तो निजी कंपनियाँ फिर से दुकानें चला सकेंगी। इससे ब्रांड की विविधता और आपूर्ति तो बढ़ेगी, लेकिन नियमन और पारदर्शिता बनाए रखना सरकार के लिए चुनौती होगी।
लागू करने की प्रक्रिया: अभी जारी रहेगी पुरानी व्यवस्था
जब तक नई नीति तैयार नहीं होती, तब तक मौजूदा नीति को आगे बढ़ा दिया गया है। इस दौरान विशेषज्ञ समिति क्वालिटी टेस्टिंग, डिजिटलीकरण और लाइसेंसिंग में पारदर्शिता जैसे सुधारों पर काम कर रही है।
असर किस पर पड़ेगा?....
उपभोक्ता: दुकानों के हटने से कुछ क्षेत्रों में शराब की उपलब्धता कम हो सकती है। कीमतों में बदलाव से जेब पर सीधा असर होगा।
दुकानदार: नई जगह पर दुकानें शिफ्ट करने और बदलते नियमों से छोटे कारोबारी दबाव में आ सकते हैं।
सरकार: कीमतों में समानता और सख्त निगरानी से राजस्व में बढ़ोतरी की उम्मीद है। अवैध कारोबार भी कम हो सकता है।
चुनौतिया अब भी बरकरार:
दुकानों के स्थानांतरण पर स्थानीय स्तर पर विरोध हो सकता है।
निजी वेंड्स की वापसी से पारदर्शिता और भ्रष्टाचार को लेकर नए विवाद खड़े हो सकते हैं।
आगे क्या?....
नई आबकारी नीति दिल्ली में शराब कारोबार को नई दिशा देने की कोशिश है। लेकिन अभी यह केवल मसौदे का हिस्सा है। अंतिम रूपरेखा और असर तभी साफ होगा जब सरकार आधिकारिक नीति जारी करेगी। तब तक पुरानी व्यवस्था जारी रहेगी और नई नीति को लेकर सस्पेंस बरकरार रहेगा।